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BABA BISHANDAS CHALISA बाबा बिशनदास चालीसा

BABA BISHANDAS CHALISA बाबा बिशनदास चालीसा  दोहा  गुरुवार प्रथम मनाऊँ मैं , बसे शारदा   ध्यान  लम्बोदर महाराज जी,  सदा करें     कल्याण  ग्राम देवता है यहाँ , बिशनदास महाराज  दीन दुखी मोहताज के सदा संवारे काज  कन्सावती के तीर पर निमोठ ग्राम कहाय जन्मभूमि महाराज की सुनो सभी चित लाय  चौपाई ब्राह्मण कुल में प्रगटे आई , सब घर घर से मिली बधाई  विष्णु भक्त पिता हर्षाया , नाम बिशम्भर दयाल धराया  भये किशोर गयी लडकाई , घर पर ही कुछ शिक्षा पाई अन्य काम में चित्त न लावै , नित प्रति धेनु चरावन जावैं  गौसेवा ही लक्ष्य बनाया , गोधन नित प्रति बढे सवाया  काम किए पर समय जो पावै, प्रभु चरण में ध्यान लगावै तन में मन अति कोमल पाई , दीं दुखी की करें सहाई  शाम सुबह करे ईश्वर ध्याना , साधू -संत का करे सन्माना  संत समागम नित करैं , सेवा करैं बनाय दूर - दूर तक जायकर , भजन सुनें चित्त लाय  चौपाई मिल हरि चर्चा उनसे करते साधु संत जो मग में मिलते  भगवत भजन बढ्यो अनुरागा जाति समय निज सब कुछ त्यागा  नदी किनारे कुटी बनाई ईश भजन करते चित्त लाई  हुए सिद्ध भव - बंधन ट

GAYATRI MANTRA बाबा बिशनदास गायत्री मंत्र

GAYATRI MANTRA बाबा बिशनदास गायत्री मंत्र  बाबा बिशनदास गायत्री मंत्र  ॐनिमोठग्राम बासाय च विद्यमहे दिव्य देहाय I धिमही   तन्नोबाबा बिशनदास प्रचोदयात BABA BISHANDAS TEMPLE NIMOTH  भावार्थ : निमोठ ग्राम में जिनका धाम है , और जो दिव्य देह के साथ सब जगह विद्यमान हैं , उन्ही बाबा बिशनदास जी महाराज का हम ध्यान करते हैं कि बाबा हमारी बुद्धि में स्थापित अंधकारों को दूर करें और हमें सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें \ बाबा बिशनदास   गायत्री मंत्र  बाबा सांसारिक रूप में तो मंदिर में या घर में मूर्ति रूप में रहते हैं , लेकिन ईश्वरीय शक्तियों को दैहिकपहचान की आवश्यकता नहीं होती , वे तो आत्मिक रूप से दिव्य देह को धारण करती हैं और कण कण में विद्यमान रहती हैं \ पूजापाठके प्रकार , मंदिर जाना , सत्संग इत्यादि ये सब ध्यान की ही पहली सीढ़ी हैं \ मनुष्यशरीर से कोई भी कार्य करने या होने के लिए सबसे पहला जो बिंदु है वह है विचार और ये आध्यात्मिक रूप से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से सत्य है \ विचारों को केन्द्रित करना ही ध्यान है \ Aarti Baba Bish

Aarti Baba Bishandas ji

Aarti Baba Bishandas ji आरती श्री बाबा बिशनदास जी महाराज ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , बाबा जय श्री बिशन दास हरे I BABA BISHANDAS  निमोठ ग्राम विराजत , अनुपम रूप धरे II रतन जड़ित सिंहासन , सिर पर मुकुट धरे I सफ़ेद वस्त्र पहने , कुंडल श्रवण पड़े II ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , गल फूलों की माला , सिर पर चंवर दुरे I खेवत धुप अग्नि पर , दीपक जोत जरे II ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , मोदक खीर चूरमा , सुवरण थाल भरे I सेवक भोग लगावत , सेवा नित्य करें II ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , झांझ मृदंग ,घड़ियाल, शंख दुरे I भक्त आरती गांवे, जय जयकार करें II ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , जो ध्वावे फल पावे , सब दुःख से उबरे I भक्तजन नित मुख से बाबा बिशन दास हरे II बाबा जी की आरती जो कोई नर गावे I कहत भक्तजन स्वामी मन वांछित फल पावे II ॐ जय श्री बाबा बिशन दास हरे , तन मन धन सब कुछ है तेरा , बाबा सब कुछ है तेरा I तेरा तुझको अर्पण , क्या लागे मेरा II ॐ जय श्री बाबा बिशनदास हरे , बाबा जय श्री बिशन दास हरे I निमोठ ग्राम विराजत , अनुपम रूप धरे II सब बोल